ब्रम्हपुत्रा यह आसाम की नदी है। गंगा नदी से भी इस नदी की ज्यादा लम्बाई थी। ब्रम्हपुत्रा के दोनों तट बरसाद में बहुत भरे रहते है।
ब्रम्हपुत्रा का उद्गम / Origin of Brahmaputra
हिमालय से 130 किलोमीटर दूरीपर सांगपो नदी आगे चलते रहती है, लगभग 1120 किलोमीटर दूरीतक सांगपो के नाम से ही पहचानी जाती है। बीच में सांगपो नदी को उपनदिया मिलती है और इसका प्रवाह बहुत ही तेजी से बहता है।
'' तिबेट पठार'' बर्फ से ढका रहता है। छोटी-छोटी बस्ती बसी हुई है। सांगपो तिबेट के प्रसिद्ध ''ल्हासा'' शहर को मिलके आगे त्सेला-जोंग इस जगह पर जाती है। त्सेला के बहुत ही उचे पर्वत शिखर से सांगपो की धारा निचे गिरते रहती है यह नजारा बहुत ही प्यारा लगता है। सौदिया के पास तिबेट की सिमा पार करके भारत में प्रवेश करती है। और सांगपो को भारत में ब्रम्हपुत्रा के नाम से पहचानी जाती है। भारत में प्रवेश करते ही पूरब से आनेवाली दिवंग, सेसिरि और पश्चिम से आनेवाली तीस्ता ऐसे तीन उपनदिया मिलती है।
हिमालय से निकल के आसाम में आती है। आसाम से 720 किलोमीटर दुरी पार करके बांग्लादेश में प्रवेश करती है। और बंगाल के खाड़ी में ब्रम्हपुत्रा समुन्दर को मिलती है। ब्रम्हपुत्रा जिस प्रदेश से बहती है वो प्रदेश बहुत ही प्यारा बन जाता है। बरसाद में उसका रूप बहुत ही भयानक होता है। आसाम में कुछ जिल्हे ब्रम्हपुत्रा के बाढ़ के चपेट में आते है।
ब्रम्हपुत्रा की लम्बाई गंगा के 400 किलोमीटर से अधिक है। भारत में ब्रम्हपुत्रा के प्रवाह की लम्बाई 1056 किलोमीटर है जहाज के माध्यम से व्यापार चालू रहता है। आसाम की खेती ब्रम्हपुत्रा के पानी पर आधारित है। ब्रम्हपुत्रा को '' आसाम का प्राण '' के नाम से पहचानते है।