थोमस एडिसन अनुसंधान कर्ता थे उन्हों ने बहुत शोध लगाए लेकिन उनके मन मे मै जो शोध लगाऊंगा उस शोध से गरीब से गरीब लोगों ने फायदा लेना चाहिए येसा उन्हों लगता था और वे उस चीज के बारे मे सोचने लगे बहुत दिन तक वे शोध लगाते रहे और एक दिन एडिसन ने उस चीज का शोध लगाया और वे चीज थी ‘’ बिजली का बल्प “
सर हंफ्रे डेव्हि इस वैज्ञानिक ने बिजली के बल्प का शोध लगाया था , तार के नोक को कोयले के तुकडे जोडके बल्प तयार किया गया था . इस बल्प के उजाले को आखों से ज्यादा समय तक देख नही सकते थे क्यों की इस बल्प का उजाला बहुत ही तेज था इसलिए बल्प का उपयोग बहुत बड़ी जगह मे फैले हुए उद्योग के लिए किया जाता था और इसकी कीमत बहुत ही ज्यादा थी कोयले के तुकडे बिजली के तेज प्रवाह से जल जाते थे .इसलिए नए कोयले के तुकडे जोड़ना पड़ता था .बल्प चालू रहते समय बल्प से विषारी वायु निकलता था . इस बल्प से लोगो को परेशानी होती थी .इसलिए थोमश एडिशन ने एसे बिजली के बल्प का निर्माण किया जिस कारण सोम्य तेज देनेवाला और विषारी वायु नही निकलनेवाला बल्प के निर्माण की कल्पना उनके मन मे आई और उन्होंने अपने कार्य को प्रारंभ किया।
थॉमस एडिसन को जादुगार, बुद्धि का जादुगार, मिट्टी का सोना बनानेवाला इस नाम से लोग जानते थे। सबसे पहले बल्प का संशोधन करने का काम थोमस एडिसन ने चालू किया। सबसे पहले के संशोधन की जानकारी लेते हुए उन्हें यह समज मे आया की, बिजली और कार्बन का संपर्क किए तो उजाला निकलता है। इस जानकारी के माध्यम पर थोमस एडिसन ने सोम्य उजाला देनेवाला , गरीब और अमीर सभी के लिए उपयोगी आएगा ऐसे बिजली के बल्प की रचना की।
इस बल्प के लिए काच का गोल प्याला लिया और वहा की हवा पंप के माध्यम से निकाली और वहा पर बिजली डालने की कल्पना उसके मन मे चलने लगी और प्रयोग को चालू किया। इस प्रयोग मे थोमस एडिसन को यह पता चला की बिजली को विरोध करनेवाला पदार्थ मात्र उजाला निर्माण कर सकता है। इस कारण थोमस एडिसन ने कार्बन निर्माण कैसे किया जाता है इस बात पर वे संशोधन करने लगे। धातु की फिल्मेंट इस पर उनका संशोधन चालू हुआ। इसके पहले तांबे का उपयोग वैज्ञानिको ने किया था लेकिन धातु का प्रयोग सफल नही हुआ।
इस प्रयोग मे थोमस एडिसन को जिस चीज के बारे मे कमतरता लगती थी उस चीज को पूरा करने के लिए वे संशोधन करने लगे। संशोधन करने के बाद यह निष्कर्ष निकला की बिजली बल्प के लिए बाल के जैसा पातल अति सूक्ष्म पदार्थ की आवश्यकता है।
प्लेटिनम धातुपर संशोधन करके संशोधन सफल हुआ लेकिन प्लेटिनम धातु बहुत ही महाग थी इस धातु के कारण गरीब से गरीब के घर बिजली का बल्प पहुचना मुस्किल था। इसलिए यह संसोधन असफल रहा।
थॉमस एडिसन ने अपने दोस्त के दाढ़ी के बाल पर भी संशोधन किया और 1600 धातुपर संशोधन किया लेकिन सफलता में यश नहीं आया। चिकटी, जिद्द , प्रयत्न , बुद्धि इनके साथ जिस समय सफलता का सामना होता है उसे एक दिन सफलता मिल ही जाती है।
दर्जी काम करते समय हम दोरे का उपयोग करते है यह दोरा उनके आँखों के आगे आया उन्होंने बल्प के लिए बहुत संशोधन किया लेकिन सफलता मिली नहीं।और एक बार थॉमस एडिसन दोरे पर बहुत ज्यादा ही संशोधन करने लगे। इस दोरे के पीछे की कहानी बहुत ही मजेदार है , ..... एडिशन अपने रूप में संशोधन कर रहे थे और उनकी चाय पिनेकी इच्छा हुई। उन्हों ने अपने पत्नी से चाय लाने को कहाँ लेकिन उनकी पत्नी अपने दर्जी के काम में व्यस्त थी। उन्हे सुनाई नहीं दिया था और एडिसन उनके ऊपर बहुत चिल्लाया उनके हात का दोरा और रील फेक दी उसके बाद उनकी पत्नी चाय बनाने के लिए गई। उनके पत्नी ने चाय दी और एडिसन का गुस्सा शांत हुआ और उनका ध्यान रील के दोरे पर गया इस दोरे से भी कार्बन तयार करते आसकता है उसपर थॉमस एडिसन ने संशोधन किया और दोरे को टूटने नहीं दिया और काच के गोले में दोरे का कार्बन डालने में थॉमस सफल रहा और उसमें बिजली भी डाली सौम्य उजाला हुआ और यह उजाला 40 घंटे रहा। संशोधन सफल रहा लेकिन उनके मन में एक बात चल रही थी की 40 घंटे चल सकता है तो यह 4 लाख घंटे, हमेशा-हमेशा के लिए चालू रहना चाहिए ऐसा उनका मानना था इसलिए धातु पदार्थ पर संशोधन चालू किया।
बल्प हमेशा-हमेशा तक चालू रहने के लिए 12 साल तक संशोधन चालू रहा। बास से फिलमेंट तैयार करते आते है इस विषय पर चर्चा हुई बास के लिए थॉमस एडिसन ने अपने सहकारियों को आफ्रिका खंड में हजारों मैल बास को ढूढने को गए और 6 हजार जात के बास खोज के निकाले एक जात के बास से अधिक समय तक के लिए उजाला देनेवाली फिल्मेंट तैयार की गई। लेकिन फिल्मेंट की जो क्षमता एडिसन को चाहिए थी उतनी क्षमता नहीं मिली। एडिसन को अपने संशोधन का समाधान नहीं हुआ।
थॉमस एडिसन कुछ न कुछ संशोधन लगाते रहता था। एडिसन बल्प की खोज करने में पूरा पागल हो गया था। बिजली के बल्प के लिए उपयोगी रहने वाला फिल्मेंट तैयार किया थॉमस की नींद, खाना , चाय सभी प्रयोग के टेबल पर आती थी और एक दिन टंगस्टन धातु का प्रयोग सफल रहा। आज का बिजली का बल टंगस्टन धातु से बना है।
31 दिसंबर 1879 इस दिन थॉमस एडिसन ने मेनलोपार्क के अपने मकान को बिजली के बल्प से डेकोरेट किया। पेड़, आँगन में मंडा बनाया, अपने बिल्डिंग के ऊपर सभी जगह पर थॉमस एडिसन ने छोटे- बड़े रंगीन बल्प लगाए पूरा मेनलोपार्क एडिसन के जादू का कमाल देखने के लिए आए थे। अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष ने थॉमस एडिसन का सन्मान किया और पोस्ट के टिकट पर बिजली के बल्प का फोटो दिया गया था।
थॉमस एडिसन ने इलेक्ट्रॉनिक जनरेटर, बिजली का बल्प चालू बंद करने की बटन, इलेक्ट्रॉनिक मीटर इ. की खोज किया।